डिप्लोमा से पाए ज्ञान को युवा ने अपने उद्योग में आजमा कर पायी सफलता,15 हजार रुपये की नौकरी छोड़ शासन के सहयोग से उद्योग लगाया, आज 10 युवाओं को दे रहे हैं रोजगार
खरगोन। निमाड़ अपनी गर्मी के लिए पूरे प्रदेश में विख्यात है। यहाँ कि लू लपट वाली गर्मी को अवसर मानकर निमाड़ को राहत की सांस देने के उद्द्देश्य से शहर के युवा मनीष तारे ने चिल्ड वॉटर और कोल्डड्रिंक का उद्योग लगाया। वर्ष 2009 से पीथमपुर में इंजिन कॉम्पोनेन्ट बनाने वाली एक कंपनी में शिफ्ट इंचार्ज के तौर पर कैरियर शुरू किया।

7 वर्षाें तक कंपनी में काम करते रहे मगर कोई खास तरक्की नहीं होने से खुद का व्यवसाय शुरू करने का मन बनाया। 2016 में अपनी आमदनी से चिल्ड वॉटर का प्लांट लगाया। धीरे-धीरे काम चल निकला तो उद्योग का बड़ा स्वरूप करने में उद्योग विभाग की प्रोत्साहन योजना का बड़ा सहारा मिला। इसके बाद 32 वर्षीय मनीष ने 20 लीटर की चिल्ड वॉटर के साथ आईएसआई मार्क वाला 500 एमएल और 1 लीटर पानी की बोटल और जीरा युक्त कोल्डड्रिंक्स बाजार में उतारा।
आज मनीष सीजन में 10 से 12 युवाओं को करीब 8 से 9 हजार रुपये तक प्रतिमाह का रोजगार खरगोन में ही दे रहे हैं।पूरे निमाड़ में पानी की बोतल को फैलाने में मिल रही है कामयाबीमनीष ने बताया कि वर्ष 2016 में 20 लीटर की वॉटर बोतल के साथ व्यवसाय शुरू किया था। इसके बाद मित्र रवि बर्वे की सलाह पर 500 एमएल और 1 लीटर बॉटल में चिल्ड वॉटर और जीरावन कोल्डड्रिंक्स को आगे बढ़ाया।

पूरे निमाड़ में एक्वाब्लू और जीरावन के डीलर खड़े हो गए हैं। सीधे डीलर्स को अपना प्रोडक्ट प्रदान कर उस क्षेत्र में बड़ी सफलता अर्जित करने की दिशा में अग्रसर है। वर्तमान में इनके द्वारा प्रतिमाह 1.50 लाख बोटल्स की खपत कर रहे हैं। मनीष ने प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद सीधे कंपनी में हाथ आजमाया था। लेकिन अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने में शासन से मिले सहयोग से आज मनीष तररकी की राह पर चल निकले हैं।
मनीष प्रतिमाह नेट प्रॉफिट करीब 90 हजार रुपये ले रहे हैं।40 प्रतिशत अनुदान का मिला प्रोत्साहन
उद्योग एवं व्यापार विभाग के सहायक संचालक श्री धन्नजय शुक्ला ने बताया कि विभाग की उद्योग स्थापित करने के पश्चात मनीष को एमएसएमई प्रोत्साहन योजना के तहत 40 प्रतिशत का अनुदान 4 वार्षिक किश्तों मंे दिया गया। इस योजना में उद्योगपति अपनी राशि लगाए और उसके आधार पर विभाग अनुदान प्रदान करता है। मनीष को विभाग की ओर से 32 लाख 48 हजार 192 रुपये का अनुदान दिया गया।