नांगलवाडी। नागपंचमी के उपलक्ष्य में नागंलवाडी स्थित श्री भिलट देव मंदिर में भीलट देव भक्त मंडल सेंधवा द्वारा प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी नाग पंचमी के पावन पर्व पर मे भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालु जन प्रसादी ग्रहण की।

प्रसादी में पुरी और खंट्टी मिट्ठी मिर्ची की प्रसादी का लाभ श्रद्धालुओं द्वारा लिया। दो दिवसीय इस भंडारे में अलग अलग व्यंजन श्रद्धालुओ के लिए प्रसादी के रूप में रखे गए थे।
थाना नागलवाडी पुलिस द्वारा आगामी त्यौहार शिवडोला, कृष्ण जन्माष्टमी एवं मोहर्रम को दृष्टिगत रखते हुए पुलिस चौकी ओझर में ग्राम रक्षा समिति एवं शांति समिति की बैठक ली गई।

जिले के स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों को नमन श्रृंखला,भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण कानपुर में एमबीबीएस में प्रवेश नहीं दिया
खरगोन। आजादी के दीवाने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई गतिविधियों में स्वतंत्रता के लिए क्या-क्या नहीं किया ? ये अनुमान हमारी कल्पना से बाहर है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के मन मे बस तिरंगे को लहराने के लिए कितने जतन किये यह भी कयास लगाना सम्भव नहीं। लेकिन उनकी कहानियों से उनके संग्राम के बारे में हमें पता चलता है तो हमारे अंदर भी देश और तिरंगे के प्रति सम्मान का जज्बा जागता है।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को नमन श्रृंखला में आज हम जानते है श्री गुलाबचंद महाजन के संग्राम के बारे में। श्री गुलाबचंद महाजन का जन्म 2 जनवरी 1924 को खरगोन में श्री मोतीलाल महाजन के घर हुआ। आपने भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के लिए ही 1942 में शिक्षा बीच में ही छोड़ दी। आंदोलन के समय आपने आमसभा करना, जुलूस निकलना, पिकेटिंग करना और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार करने के साथ ही विदेशी व्यवस्था का विरोध करना आपकी जीवन शैली में शामिल हो गया।
स्वतंत्रता संग्राम में 7 माह 17 दिन कारावास में नर्क जैसा जीवन व्यतीत किया। जेल से रिहा होने के बाद आप कानपुर अध्ययन के लिए गए। यहां एमबीबीएस के टेस्ट की परीक्षा पास तो कर ली लेकिन आपको इसलिए कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया क्योंकि आपने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। इसके बाद आप वापस आने के बाद सामाजिक कार्याें में जुट गए। ऐसे आज़ादी के मस्तानो को सच्चा सम्मान और करने के लिए अपने घरों पर आवश्यक रूप से तिरंगा लगाए।
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